"बीवी जैसे संबंध तभी गुजारा भत्ता"
Written by India News & Views
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप के बारे में दिए एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि ऐसे रिश्ते को निभा रही महिला साथी कुछ मापदंडों को पूरा करने की स्थिति में ही गुजारा भत्ते की हकदार हो सकती है और केवल सप्ताहांत एक दूसरे के साथ बिताने या रात भर किसी के साथ गुजारने से इसे घरेलू संबंध नहीं कहा जा सकता।
न्यायाधीश मार्कन्डेय काट्जू और टीएस ठाकुर की पीठ ने कहा कि गुजारा भत्ता पाने के लिए किसी महिला को चार शर्ते पूरी करनी होंगी, भले ही वह अविवाहित हो। इनमें युवक युवती को समाज के समक्ष खुद को पति पत्नी की तरह पेश करना होगा, दूसरा, दोनों की उम्र कानून के अनुसार शादी के लायक हो, तीसरा, उम्र के अलावा भी वे शादी करने योग्य हों जिनमें अविवाहित होना भी शामिल है तथा चौथा वे स्वेच्छा से एक दूसरे के साथ रह रहे हों और दुनिया के सामने खुद को एक खास अवधि के लिए जीवनसाथी के रूप में दिखाएं।
पीठ ने कहा कि हमारी राय में घरेलू हिंसा से महिलाओं की रक्षा संबंधी अधिनियम के लाभ पाने के लिए सभी लिव इन संबंधों को वैवाहिक संबन्धों जैसी श्रेणी में नहीं माना जाएगा। इस लाभ को पाने के लिए हमने जो उपरोक्त शर्ते बतायी हैं उन्हें पूरा करना होगा और इसे सबूत के जरिए साबित भी करना होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति की कोई "रखैल" है, जिसकी वह वित्तीय जिम्मेदारी उठाता है और उसका इस्तेमाल मुख्य रूप से सैक्स की संतुष्टि के लिए करता है या बतौर नौकरानी के रखता है तो हमारी नजर में यह ऐसा संबंध नहीं होगा, जिसे वैवाहिक संबंधों जैसा माना जा सके।
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