शुक्रवार, १४ फ़रवरी २०१४ ०६:५२ अपराह्न
नई दिल्ली: तेजी से हो रहे सामाजिक बदलाव के इस दौर में अब पुरुष भी खुद को 'अबला' और 'असुरक्षित' महसूस कर रहे हैं. 50 स्वयंसेवी संस्थाओँ के एक समूह ने 'महिला आयोग' के जवाब में अब 'पुरुष आयोग' और पुरुष मंत्रालय बनाने की मांग उठाई है.
पति-परिवार कल्याण समिति व 50 स्वयंसेवी संस्थाओं का समूह 'नेशनल कोलिशन ऑफ मेन' (एनसीएम) संस्था ने अपना 'चुनाव घोषणा पत्र' जारी करते हुए तेजी से बदल रहे सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में पुरुषों को अत्याचार से बचाने की जरूरत बताई है.
एनसीएम ने पुरुष मंत्रालय और पुरुष आयोग बनाए जाने के साथ पुरुषों को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए टास्कफोर्स का गठन किए जाने के लिए आवाज उठाई है.
एनसीएम समिति की अध्यक्ष इन्दु सुभाष ने लखनऊ में कहा कि सरकार आए दिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बना रही है, लेकिन पुरुषों के लिए कोई कानून नहीं बनाया जा रहा है. लिंगभेद आधारित कानून बनाकर पुरुषों का उत्पीड़न किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि नारी सशक्तिकरण के युग में पुरुषों के अधिकारों को अनदेखा किया जा रहा है, जिसके चलते आए दिन पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं और संयुक्त परिवार बिखरते जा रहे हैं. दस वर्षों के एनसीआरबी के आंकड़े खुद बयां कर रहे हैं कि पुरुष महिलाओं की तुलना में दोगुनी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं.
घोषण पत्र जारी करते हुए एनसीएम के अध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहा कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जाता है, तो इसके लिए राजनीतिक पार्टी बनाकर लोकसभा चुनाव 2014 में शामिल होकर पुरुषों के अधिकारों के लिए जनता के बीच आवाज उठाई जाएगी.
उन्होंने कहा कि महिला ही नहीं, पुरुष भी घरेलू हिंसा के शिकार होते हैं, जिसके चलते मौजूदा दौर में लड़ाई-झगड़े के चलते संयुक्त परिवार का बिखराव हो रहा है. इसे बचाने के लिए लोगों को सामने आना चाहिए
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