संतराज ठाकुर, गाजियाबाद बेटी को बनाएंगे वकील, लेकिन बहू चाहिए टीचर... आज महिलाओं की तरक्की का ग्राफ भले ही आगे बढ़ रहा है, लेकिन बंदिशें पूरी तरह टूटी नहीं हैं। बेटियों को लेकर पैरेंट्स की मानसिकता में इतना बदलाव जरूर आया है कि बेटियों को वकालत, मीडिया, राजनीति व अन्य बोल्ड प्रोफेशंस में जाने की रोक-टोक कम हुई है, लेकिन बारी जब बहू चुनने की आती है, तो सबसे कम नंबर भी इन्हीं बोल्ड प्रोफेशन वाली लड़कियों को मिलते हैं।
गाजियाबाद बार एसोसिएशन से जुड़ीं 24 से भी ज्यादा महिला वकील ऐसी हैं, जिनके घरवाले उनके लिए लड़के ढूंढ-ढूंढकर थक गए हैं। लड़की के वकील होने की बात सुनते ही शादी में अड़चन आ जाती है। सूत्रों का कहना है कि महिलाओं की हिफाजत के लिए बने कानून के बाद से लोग महिला वकीलों से शादी करने से कतराने लगे हैं।
केस स्टडी 1
आरती (बदला हुआ नाम) साल 2008 में एलएलबी पास करने के बाद वकालत के पेशे में आई थीं। इच्छा थी, पीड़ित महिलाओं के केस लड़कर उन्हें न्याय दिलाने की। आरती ने बताया, मेरे पैरंट्स पिछले कई बरसों से वर की तलाश कर रहे हैं। एक बार बातचीत पक्की हो गई थी। गोद भराई की तारीख भी तय कर दी गई, मगर लड़के वाले नहीं आए। मध्यस्थता करनेवाले से पूछा गया, तो उसने बताया कि लड़के वाले लड़की के वकील होने को लेकर परेशान हैं। उनका कहना है कि शादी हो गई तो बिना वजह कोर्ट-कचहरी के चक्कर कटवाएगी, इसलिए रिश्ता तोड़ रहे हैं।
केस स्टडी 2
सोनाक्षी (बदला हुआ नाम) साल 2010 से वकालत कर रही हैं। उन्होंने बताया, जनवरी 2013 में मेरी शादी एक पशु चिकित्सक से तय हो गई थी। गोद भराई की रस्म के बाद हम दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। लेकिन कुछ दिन बाद लड़के के दोस्त ने उसे पाठ पढ़ा दिया कि लड़की वकील है। कोई मुनमुटाव हुआ तो कई मुकदमे दर्ज करा देगी। पूरी जिंदगी कोर्ट-कचहरी के चक्कर कटवाएगी। इसके बाद चिकित्सक ने रिश्ता तोड़ दिया।
पहली वकील ने कहा, बढ़ी है दिक्कत
गाजियाबाद कोर्ट की पहली महिला वकील सुनीता दत्ता हैं। उन्होंने 80 के दशक में यहां वकालत शुरू की थी। सुनीता ने बताया, मेरे पिता एयरफोर्स में इंजीनियर थे। पिता की इच्छा वकील बनाने की थी, इसलिए मैं वकील बनी। अब महिला वकीलों की दिक्कत बढ़ने लगी है। महिलाओं के हितों में कड़ा कानून बना है। कुछ महिलाएं कानून का दुरुपयोग कर ससुराल पक्ष के लोगों को परेशान कर रही हैं। महिला वकील से शादी लोग इस डर से भी नहीं करते कि बहू वकील होगी। अगर बात किसी कारण से बिगड़ गई तो वह कोर्ट-कचहरी के चक्कर कटवाएगी। इससे अच्छा यही होगा कि वकील लड़की से शादी ही न की जाए।
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