== प्रेस नोट : 29 जनवरी 2015 ==
498A का दुरूपयोग करनेवाली महिलायें सावधान !
मुंबई अदालत के आदेशानुसार पति आप पर मानहानि का मुकदमा कर सकता है !!
क्या आपकी पत्नी ने आप पर IPC 498A का झूठा मामला डाल रखा है ?
क्या आप और आपके बुजुर्ग माता-पिता व आपके परिवार के सदस्य कई वर्षों से ऐसे मुकदमों से पीड़ित हैं ??
अब डरने की ज़रूरत नहीं "Human Rights Security Council" के राष्ट्रीय अध्यक्ष अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने ऐसी महिलाओं को कानूनी सबक सिखाने के लिये कानूनी रास्ता निकालकर मुंबई की एक अदालत से पत्नी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल करके पीड़ित पति के पक्ष में ऑर्डर हासिल कर लिया है|
ऐसा ही एक मामला अँड श्री. नीलेश ओझा जी के सामने आया| जिसमें छत्तीसगढ की एक महिला ने अपने अहम के लिए और अपने पति को बदनाम व परेशान करने की नीयत से अपने पति श्री. रमेश(बदला हुआ नाम) जो भाभा आणविक रिसर्च सेन्टर(मुंबई) के वैज्ञानिक हैं, के खिलाफ IPC 498A के तहत झूठा मामला दर्ज किया और F.I.R. की कॉपी उसके मुंबई ऑफिस में भेज दी| जिसकी वजह से श्री. रमेश मानसिक रूप से काफी तनावग्रस्त रहने लगे व सोचने लगे कि कानून केवल महिला के पक्ष में क्यों है, पुरूष के पक्ष में क्यों नहीं?
तभी अचानक श्रीमती मोहिनी कामवानी के फेसबुक से उन्हें पता चला कि “Human Rights Security Council” नामक संस्था एक सेमिनार आयोजित कर रही है, जिसमें श्री. रमेश जी वहाँ पहुँचे तो उन्होंने सेमिनार के मुख्य अतिथी अँड श्री. नीलेश ओझा जी को कहते हुये सुना कि "कानून का दुरूपयोग करके निर्दोषों को फँसानेवालों के खिलाफ कैसे सही कानूनी कार्यवाही की जा सकती है" श्री. रमेश ने उनसे खुद के मामले में मदद करने की विनती की| जिसकी वजह से श्री. नीलेश ओझा जी ने श्री. रमेश की पैरवी करते हुये मुंबई की अदालत में पत्नी के खिलाफ फौजदारी धाराओं में मामला दाखिल किया जिस पर अदालत ने विरोध प्रकट करते हुये पूछा कि "आप कैसे कह सकते हो, कि पत्नी द्वारा मध्यप्रदेश में डाले हुए आरोप झू्ठे है, जबकि पत्नी का झूठ अभी साबित नहीं हुआ हैं" इस पर अँड श्री. नीलेश ओझा ने मुंबई मैट्रोपॉलिटन कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के मामलों का हवाला देते हुये यह साबित कर दिया कि पत्नी के छत्तीसगढ का मामला प्रलंबित होते हुये भी पति के शहर मुंबई में पत्नी के खिलाफ मानहानि
Friday, January 30, 2015
== प्रेस नोट : 29 जनवरी 2015 ==
498A का दुरूपयोग करनेवाली महिलायें सावधान !
मुंबई अदालत के आदेशानुसार पति आप पर मानहानि का मुकदमा कर सकता है !!
क्या आपकी पत्नी ने आप पर IPC 498A का झूठा मामला डाल रखा है ?
क्या आप और आपके बुजुर्ग माता-पिता व आपके परिवार के सदस्य कई वर्षों से ऐसे मुकदमों से पीड़ित हैं ??
अब डरने की ज़रूरत नहीं "Human Rights Security Council" के राष्ट्रीय अध्यक्ष अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने ऐसी महिलाओं को कानूनी सबक सिखाने के लिये कानूनी रास्ता निकालकर मुंबई की एक अदालत से पत्नी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल करके पीड़ित पति के पक्ष में ऑर्डर हासिल कर लिया है|
ऐसा ही एक मामला अँड श्री. नीलेश ओझा जी के सामने आया| जिसमें छत्तीसगढ की एक महिला ने अपने अहम के लिए और अपने पति को बदनाम व परेशान करने की नीयत से अपने पति श्री. रमेश(बदला हुआ नाम) जो भाभा आणविक रिसर्च सेन्टर(मुंबई) के वैज्ञानिक हैं, के खिलाफ IPC 498A के तहत झूठा मामला दर्ज किया और F.I.R. की कॉपी उसके मुंबई ऑफिस में भेज दी| जिसकी वजह से श्री. रमेश मानसिक रूप से काफी तनावग्रस्त रहने लगे व सोचने लगे कि कानून केवल महिला के पक्ष में क्यों है, पुरूष के पक्ष में क्यों नहीं?
तभी अचानक श्रीमती मोहिनी कामवानी के फेसबुक से उन्हें पता चला कि “Human Rights Security Council” नामक संस्था एक सेमिनार आयोजित कर रही है, जिसमें श्री. रमेश जी वहाँ पहुँचे तो उन्होंने सेमिनार के मुख्य अतिथी अँड श्री. नीलेश ओझा जी को कहते हुये सुना कि "कानून का दुरूपयोग करके निर्दोषों को फँसानेवालों के खिलाफ कैसे सही कानूनी कार्यवाही की जा सकती है" श्री. रमेश ने उनसे खुद के मामले में मदद करने की विनती की| जिसकी वजह से श्री. नीलेश ओझा जी ने श्री. रमेश की पैरवी करते हुये मुंबई की अदालत में पत्नी के खिलाफ फौजदारी धाराओं में मामला दाखिल किया जिस पर अदालत ने विरोध प्रकट करते हुये पूछा कि "आप कैसे कह सकते हो, कि पत्नी द्वारा मध्यप्रदेश में डाले हुए आरोप झू्ठे है, जबकि पत्नी का झूठ अभी साबित नहीं हुआ हैं" इस पर अँड श्री. नीलेश ओझा ने मुंबई मैट्रोपॉलिटन कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के मामलों का हवाला देते हुये यह साबित कर दिया कि पत्नी के छत्तीसगढ का मामला प्रलंबित होते हुये भी पति के शहर मुंबई में पत्नी के खिलाफ मानहानि
498A का दुरूपयोग करनेवाली महिलायें सावधान !
मुंबई अदालत के आदेशानुसार पति आप पर मानहानि का मुकदमा कर सकता है !!
क्या आपकी पत्नी ने आप पर IPC 498A का झूठा मामला डाल रखा है ?
क्या आप और आपके बुजुर्ग माता-पिता व आपके परिवार के सदस्य कई वर्षों से ऐसे मुकदमों से पीड़ित हैं ??
अब डरने की ज़रूरत नहीं "Human Rights Security Council" के राष्ट्रीय अध्यक्ष अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने ऐसी महिलाओं को कानूनी सबक सिखाने के लिये कानूनी रास्ता निकालकर मुंबई की एक अदालत से पत्नी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल करके पीड़ित पति के पक्ष में ऑर्डर हासिल कर लिया है|
ऐसा ही एक मामला अँड श्री. नीलेश ओझा जी के सामने आया| जिसमें छत्तीसगढ की एक महिला ने अपने अहम के लिए और अपने पति को बदनाम व परेशान करने की नीयत से अपने पति श्री. रमेश(बदला हुआ नाम) जो भाभा आणविक रिसर्च सेन्टर(मुंबई) के वैज्ञानिक हैं, के खिलाफ IPC 498A के तहत झूठा मामला दर्ज किया और F.I.R. की कॉपी उसके मुंबई ऑफिस में भेज दी| जिसकी वजह से श्री. रमेश मानसिक रूप से काफी तनावग्रस्त रहने लगे व सोचने लगे कि कानून केवल महिला के पक्ष में क्यों है, पुरूष के पक्ष में क्यों नहीं?
तभी अचानक श्रीमती मोहिनी कामवानी के फेसबुक से उन्हें पता चला कि “Human Rights Security Council” नामक संस्था एक सेमिनार आयोजित कर रही है, जिसमें श्री. रमेश जी वहाँ पहुँचे तो उन्होंने सेमिनार के मुख्य अतिथी अँड श्री. नीलेश ओझा जी को कहते हुये सुना कि "कानून का दुरूपयोग करके निर्दोषों को फँसानेवालों के खिलाफ कैसे सही कानूनी कार्यवाही की जा सकती है" श्री. रमेश ने उनसे खुद के मामले में मदद करने की विनती की| जिसकी वजह से श्री. नीलेश ओझा जी ने श्री. रमेश की पैरवी करते हुये मुंबई की अदालत में पत्नी के खिलाफ फौजदारी धाराओं में मामला दाखिल किया जिस पर अदालत ने विरोध प्रकट करते हुये पूछा कि "आप कैसे कह सकते हो, कि पत्नी द्वारा मध्यप्रदेश में डाले हुए आरोप झू्ठे है, जबकि पत्नी का झूठ अभी साबित नहीं हुआ हैं" इस पर अँड श्री. नीलेश ओझा ने मुंबई मैट्रोपॉलिटन कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के मामलों का हवाला देते हुये यह साबित कर दिया कि पत्नी के छत्तीसगढ का मामला प्रलंबित होते हुये भी पति के शहर मुंबई में पत्नी के खिलाफ मानहानि
== प्रेस नोट : 29 जनवरी 2015 ==
498A का दुरूपयोग करनेवाली महिलायें सावधान !
मुंबई अदालत के आदेशानुसार पति आप पर मानहानि का मुकदमा कर सकता है !!
क्या आपकी पत्नी ने आप पर IPC 498A का झूठा मामला डाल रखा है ?
क्या आप और आपके बुजुर्ग माता-पिता व आपके परिवार के सदस्य कई वर्षों से ऐसे मुकदमों से पीड़ित हैं ??
अब डरने की ज़रूरत नहीं "Human Rights Security Council" के राष्ट्रीय अध्यक्ष अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने ऐसी महिलाओं को कानूनी सबक सिखाने के लिये कानूनी रास्ता निकालकर मुंबई की एक अदालत से पत्नी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल करके पीड़ित पति के पक्ष में ऑर्डर हासिल कर लिया है|
ऐसा ही एक मामला अँड श्री. नीलेश ओझा जी के सामने आया| जिसमें छत्तीसगढ की एक महिला ने अपने अहम के लिए और अपने पति को बदनाम व परेशान करने की नीयत से अपने पति श्री. रमेश(बदला हुआ नाम) जो भाभा आणविक रिसर्च सेन्टर(मुंबई) के वैज्ञानिक हैं, के खिलाफ IPC 498A के तहत झूठा मामला दर्ज किया और F.I.R. की कॉपी उसके मुंबई ऑफिस में भेज दी| जिसकी वजह से श्री. रमेश मानसिक रूप से काफी तनावग्रस्त रहने लगे व सोचने लगे कि कानून केवल महिला के पक्ष में क्यों है, पुरूष के पक्ष में क्यों नहीं?
तभी अचानक श्रीमती मोहिनी कामवानी के फेसबुक से उन्हें पता चला कि “Human Rights Security Council” नामक संस्था एक सेमिनार आयोजित कर रही है, जिसमें श्री. रमेश जी वहाँ पहुँचे तो उन्होंने सेमिनार के मुख्य अतिथी अँड श्री. नीलेश ओझा जी को कहते हुये सुना कि "कानून का दुरूपयोग करके निर्दोषों को फँसानेवालों के खिलाफ कैसे सही कानूनी कार्यवाही की जा सकती है" श्री. रमेश ने उनसे खुद के मामले में मदद करने की विनती की| जिसकी वजह से श्री. नीलेश ओझा जी ने श्री. रमेश की पैरवी करते हुये मुंबई की अदालत में पत्नी के खिलाफ फौजदारी धाराओं में मामला दाखिल किया जिस पर अदालत ने विरोध प्रकट करते हुये पूछा कि "आप कैसे कह सकते हो, कि पत्नी द्वारा मध्यप्रदेश में डाले हुए आरोप झू्ठे है, जबकि पत्नी का झूठ अभी साबित नहीं हुआ हैं" इस पर अँड श्री. नीलेश ओझा ने मुंबई मैट्रोपॉलिटन कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के मामलों का हवाला देते हुये यह साबित कर दिया कि पत्नी के छत्तीसगढ का मामला प्रलंबित होते हुये भी पति के शहर मुंबई में पत्नी के खिलाफ मानहानि
498A का दुरूपयोग करनेवाली महिलायें सावधान !
मुंबई अदालत के आदेशानुसार पति आप पर मानहानि का मुकदमा कर सकता है !!
क्या आपकी पत्नी ने आप पर IPC 498A का झूठा मामला डाल रखा है ?
क्या आप और आपके बुजुर्ग माता-पिता व आपके परिवार के सदस्य कई वर्षों से ऐसे मुकदमों से पीड़ित हैं ??
अब डरने की ज़रूरत नहीं "Human Rights Security Council" के राष्ट्रीय अध्यक्ष अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने ऐसी महिलाओं को कानूनी सबक सिखाने के लिये कानूनी रास्ता निकालकर मुंबई की एक अदालत से पत्नी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल करके पीड़ित पति के पक्ष में ऑर्डर हासिल कर लिया है|
ऐसा ही एक मामला अँड श्री. नीलेश ओझा जी के सामने आया| जिसमें छत्तीसगढ की एक महिला ने अपने अहम के लिए और अपने पति को बदनाम व परेशान करने की नीयत से अपने पति श्री. रमेश(बदला हुआ नाम) जो भाभा आणविक रिसर्च सेन्टर(मुंबई) के वैज्ञानिक हैं, के खिलाफ IPC 498A के तहत झूठा मामला दर्ज किया और F.I.R. की कॉपी उसके मुंबई ऑफिस में भेज दी| जिसकी वजह से श्री. रमेश मानसिक रूप से काफी तनावग्रस्त रहने लगे व सोचने लगे कि कानून केवल महिला के पक्ष में क्यों है, पुरूष के पक्ष में क्यों नहीं?
तभी अचानक श्रीमती मोहिनी कामवानी के फेसबुक से उन्हें पता चला कि “Human Rights Security Council” नामक संस्था एक सेमिनार आयोजित कर रही है, जिसमें श्री. रमेश जी वहाँ पहुँचे तो उन्होंने सेमिनार के मुख्य अतिथी अँड श्री. नीलेश ओझा जी को कहते हुये सुना कि "कानून का दुरूपयोग करके निर्दोषों को फँसानेवालों के खिलाफ कैसे सही कानूनी कार्यवाही की जा सकती है" श्री. रमेश ने उनसे खुद के मामले में मदद करने की विनती की| जिसकी वजह से श्री. नीलेश ओझा जी ने श्री. रमेश की पैरवी करते हुये मुंबई की अदालत में पत्नी के खिलाफ फौजदारी धाराओं में मामला दाखिल किया जिस पर अदालत ने विरोध प्रकट करते हुये पूछा कि "आप कैसे कह सकते हो, कि पत्नी द्वारा मध्यप्रदेश में डाले हुए आरोप झू्ठे है, जबकि पत्नी का झूठ अभी साबित नहीं हुआ हैं" इस पर अँड श्री. नीलेश ओझा ने मुंबई मैट्रोपॉलिटन कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के मामलों का हवाला देते हुये यह साबित कर दिया कि पत्नी के छत्तीसगढ का मामला प्रलंबित होते हुये भी पति के शहर मुंबई में पत्नी के खिलाफ मानहानि
== प्रेस नोट : 29 जनवरी 2015 ==
498A का दुरूपयोग करनेवाली महिलायें सावधान !
मुंबई अदालत के आदेशानुसार पति आप पर मानहानि का मुकदमा कर सकता है !!
क्या आपकी पत्नी ने आप पर IPC 498A का झूठा मामला डाल रखा है ?
क्या आप और आपके बुजुर्ग माता-पिता व आपके परिवार के सदस्य कई वर्षों से ऐसे मुकदमों से पीड़ित हैं ??
अब डरने की ज़रूरत नहीं "Human Rights Security Council" के राष्ट्रीय अध्यक्ष अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने ऐसी महिलाओं को कानूनी सबक सिखाने के लिये कानूनी रास्ता निकालकर मुंबई की एक अदालत से पत्नी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल करके पीड़ित पति के पक्ष में ऑर्डर हासिल कर लिया है|
ऐसा ही एक मामला अँड श्री. नीलेश ओझा जी के सामने आया| जिसमें छत्तीसगढ की एक महिला ने अपने अहम के लिए और अपने पति को बदनाम व परेशान करने की नीयत से अपने पति श्री. रमेश(बदला हुआ नाम) जो भाभा आणविक रिसर्च सेन्टर(मुंबई) के वैज्ञानिक हैं, के खिलाफ IPC 498A के तहत झूठा मामला दर्ज किया और F.I.R. की कॉपी उसके मुंबई ऑफिस में भेज दी| जिसकी वजह से श्री. रमेश मानसिक रूप से काफी तनावग्रस्त रहने लगे व सोचने लगे कि कानून केवल महिला के पक्ष में क्यों है, पुरूष के पक्ष में क्यों नहीं?
तभी अचानक श्रीमती मोहिनी कामवानी के फेसबुक से उन्हें पता चला कि “Human Rights Security Council” नामक संस्था एक सेमिनार आयोजित कर रही है, जिसमें श्री. रमेश जी वहाँ पहुँचे तो उन्होंने सेमिनार के मुख्य अतिथी अँड श्री. नीलेश ओझा जी को कहते हुये सुना कि "कानून का दुरूपयोग करके निर्दोषों को फँसानेवालों के खिलाफ कैसे सही कानूनी कार्यवाही की जा सकती है" श्री. रमेश ने उनसे खुद के मामले में मदद करने की विनती की| जिसकी वजह से श्री. नीलेश ओझा जी ने श्री. रमेश की पैरवी करते हुये मुंबई की अदालत में पत्नी के खिलाफ फौजदारी धाराओं में मामला दाखिल किया जिस पर अदालत ने विरोध प्रकट करते हुये पूछा कि "आप कैसे कह सकते हो, कि पत्नी द्वारा मध्यप्रदेश में डाले हुए आरोप झू्ठे है, जबकि पत्नी का झूठ अभी साबित नहीं हुआ हैं" इस पर अँड श्री. नीलेश ओझा ने मुंबई मैट्रोपॉलिटन कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के मामलों का हवाला देते हुये यह साबित कर दिया कि पत्नी के छत्तीसगढ का मामला प्रलंबित होते हुये भी पति के शहर मुंबई में पत्नी के खिलाफ मानहानि
498A का दुरूपयोग करनेवाली महिलायें सावधान !
मुंबई अदालत के आदेशानुसार पति आप पर मानहानि का मुकदमा कर सकता है !!
क्या आपकी पत्नी ने आप पर IPC 498A का झूठा मामला डाल रखा है ?
क्या आप और आपके बुजुर्ग माता-पिता व आपके परिवार के सदस्य कई वर्षों से ऐसे मुकदमों से पीड़ित हैं ??
अब डरने की ज़रूरत नहीं "Human Rights Security Council" के राष्ट्रीय अध्यक्ष अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने ऐसी महिलाओं को कानूनी सबक सिखाने के लिये कानूनी रास्ता निकालकर मुंबई की एक अदालत से पत्नी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल करके पीड़ित पति के पक्ष में ऑर्डर हासिल कर लिया है|
ऐसा ही एक मामला अँड श्री. नीलेश ओझा जी के सामने आया| जिसमें छत्तीसगढ की एक महिला ने अपने अहम के लिए और अपने पति को बदनाम व परेशान करने की नीयत से अपने पति श्री. रमेश(बदला हुआ नाम) जो भाभा आणविक रिसर्च सेन्टर(मुंबई) के वैज्ञानिक हैं, के खिलाफ IPC 498A के तहत झूठा मामला दर्ज किया और F.I.R. की कॉपी उसके मुंबई ऑफिस में भेज दी| जिसकी वजह से श्री. रमेश मानसिक रूप से काफी तनावग्रस्त रहने लगे व सोचने लगे कि कानून केवल महिला के पक्ष में क्यों है, पुरूष के पक्ष में क्यों नहीं?
तभी अचानक श्रीमती मोहिनी कामवानी के फेसबुक से उन्हें पता चला कि “Human Rights Security Council” नामक संस्था एक सेमिनार आयोजित कर रही है, जिसमें श्री. रमेश जी वहाँ पहुँचे तो उन्होंने सेमिनार के मुख्य अतिथी अँड श्री. नीलेश ओझा जी को कहते हुये सुना कि "कानून का दुरूपयोग करके निर्दोषों को फँसानेवालों के खिलाफ कैसे सही कानूनी कार्यवाही की जा सकती है" श्री. रमेश ने उनसे खुद के मामले में मदद करने की विनती की| जिसकी वजह से श्री. नीलेश ओझा जी ने श्री. रमेश की पैरवी करते हुये मुंबई की अदालत में पत्नी के खिलाफ फौजदारी धाराओं में मामला दाखिल किया जिस पर अदालत ने विरोध प्रकट करते हुये पूछा कि "आप कैसे कह सकते हो, कि पत्नी द्वारा मध्यप्रदेश में डाले हुए आरोप झू्ठे है, जबकि पत्नी का झूठ अभी साबित नहीं हुआ हैं" इस पर अँड श्री. नीलेश ओझा ने मुंबई मैट्रोपॉलिटन कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के मामलों का हवाला देते हुये यह साबित कर दिया कि पत्नी के छत्तीसगढ का मामला प्रलंबित होते हुये भी पति के शहर मुंबई में पत्नी के खिलाफ मानहानि
Wednesday, January 7, 2015
Change Hindu code to let in-law pay alimony if husband can’t, says law panel
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Reliance Life Insurance1Cr Cover @ Rs450 or 50 Lac @ Rs253 Per monthmUtkarsh Anand | New Delhi | Posted: January 7, 2015 3:04 am
The Hindu law should be amended to cast a legal obligation on the father-in-law to maintain and pay alimony to the daughter-in-law when her husband is unable to do so, the Law Commission recommended to the government in a report submitted on Tuesday.
Under the existing provisions, a woman does not have the right to claim alimony from her father-in-law or other in-laws if her husband fails to maintain her due to various reasons, including his physical or mental incapacitation, disappearance or renunciation of the world as a religious choice.
The Law Commission, headed by Justice A P Shah, however, held that there was “sufficient basis in classical Hindu law to cast a legal obligation on the father-in-law to maintain the daughter-in-law, when the husband of the latter is unable to do so”. The panel’s report noted that the basis so discovered in the Hindu law lent support to the legislative amendment being proposed by the Commission, as it sought to spell out the father-in-law’s legal obligation to pay maintenance to the daughter-in-law.
“The right of a Hindu woman, whose husband is unable to provide maintenance to her, must be protected,” held the Commission, while recommending to Law Minister Sadananda Gowda insertion of a new clause in the Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956.
According to the panel, insertion of sub-section 4 under Section 18 should read as: “Where the husband is unable to provide for his wife, on account of physical disability, mental disorder, disappearance, renunciation of the world by entering any religious order or other similar reasons, the Hindu wife is entitled to claim m
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Reliance Life Insurance1Cr Cover @ Rs450 or 50 Lac @ Rs253 Per monthmUtkarsh Anand | New Delhi | Posted: January 7, 2015 3:04 am
The Hindu law should be amended to cast a legal obligation on the father-in-law to maintain and pay alimony to the daughter-in-law when her husband is unable to do so, the Law Commission recommended to the government in a report submitted on Tuesday.
Under the existing provisions, a woman does not have the right to claim alimony from her father-in-law or other in-laws if her husband fails to maintain her due to various reasons, including his physical or mental incapacitation, disappearance or renunciation of the world as a religious choice.
The Law Commission, headed by Justice A P Shah, however, held that there was “sufficient basis in classical Hindu law to cast a legal obligation on the father-in-law to maintain the daughter-in-law, when the husband of the latter is unable to do so”. The panel’s report noted that the basis so discovered in the Hindu law lent support to the legislative amendment being proposed by the Commission, as it sought to spell out the father-in-law’s legal obligation to pay maintenance to the daughter-in-law.
“The right of a Hindu woman, whose husband is unable to provide maintenance to her, must be protected,” held the Commission, while recommending to Law Minister Sadananda Gowda insertion of a new clause in the Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956.
According to the panel, insertion of sub-section 4 under Section 18 should read as: “Where the husband is unable to provide for his wife, on account of physical disability, mental disorder, disappearance, renunciation of the world by entering any religious order or other similar reasons, the Hindu wife is entitled to claim m
Sunday, January 4, 2015
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MANGALURU: A social activist from Athani taluk of Belagavi district will take out a padayatra from Belagavi to New Delhi to uphold the cause of men who suffer due to misuse of IPC Section 498A by women.
Santoshkumar B Potdar said he will cover the 2,500km distance by walk to impress upon Prime Minister Narendra Modi to implement amendments to prevent the misuse of IPC 498A by women. The section that deals with crime against women by husband or his relatives and sentences them to jail has been misused by women often who level false charges.
Quoting statistics of 2010 available with the National Crime Records Bureau, he said, a harassed husband commits suicide every nine minutes in India.
He wants IPC Section 498A to be made gender neutral by replacing the word 'wife' with 'spouse' so that the law benefits both genders. In addition, he also wants the government to set up a National Commission for Men and a separate ministry for the welfare of men.
He will commence his padayatra from Thelasanga village in Belagavi on January 30 and reach New Delhi after walking 2,500km on May 3. "Husbands, who are harassed by wives with the help of Section 498A, go through a great deal of mental agony and are often forced to commit suicide. I will bring the issue of misuse of law by women to the notice of Prime Minister Narendra Modi and President Pranab Mukherjee," Potdar said adding that he was a victim of the IPC section.
"Many victims of IPC Section 498A have agreed to join me in my fight. Cops register cases immediately when women approach police stations. However, men face difficulties in getting their complaints registered. I want the government to set up a National Commission for Men too," Potdar said.
MANGALURU: A social activist from Athani taluk of Belagavi district will take out a padayatra from Belagavi to New Delhi to uphold the cause of men who suffer due to misuse of IPC Section 498A by women.
Santoshkumar B Potdar said he will cover the 2,500km distance by walk to impress upon Prime Minister Narendra Modi to implement amendments to prevent the misuse of IPC 498A by women. The section that deals with crime against women by husband or his relatives and sentences them to jail has been misused by women often who level false charges.
Quoting statistics of 2010 available with the National Crime Records Bureau, he said, a harassed husband commits suicide every nine minutes in India.
He wants IPC Section 498A to be made gender neutral by replacing the word 'wife' with 'spouse' so that the law benefits both genders. In addition, he also wants the government to set up a National Commission for Men and a separate ministry for the welfare of men.
He will commence his padayatra from Thelasanga village in Belagavi on January 30 and reach New Delhi after walking 2,500km on May 3. "Husbands, who are harassed by wives with the help of Section 498A, go through a great deal of mental agony and are often forced to commit suicide. I will bring the issue of misuse of law by women to the notice of Prime Minister Narendra Modi and President Pranab Mukherjee," Potdar said adding that he was a victim of the IPC section.
"Many victims of IPC Section 498A have agreed to join me in my fight. Cops register cases immediately when women approach police stations. However, men face difficulties in getting their complaints registered. I want the government to set up a National Commission for Men too," Potdar said.
Saturday, January 3, 2015
498-A का झूठा मुकदमा दर्ज होने पर, जहाँ तक संभव हो फिरौती (black mail) देकर समझोता ना करें, फिरौती देकर समझोता करने से ही, देखा-देखी दूसरों के भी होंसले बुलंद हो रहें हैं और झूठे मुकद्दमे दर्ज हो रहें हैं.
झूठा मुकदमा (498-A) बनाने वाले पुलिस वालों के खिलाफ भी सिविल और क्रिमिनल केस दोनों जरुर फाइल करने चाहिए, इससे झूठा मुकदमा बनाने वाले पुलिस वालों पर नकेल कसी जा सकती है.
पुलिस वालों के भी होंसले इसलिए भी बुलंद रहते हैं कि उनके खिलाफ कोई कार्यवाही तो करता ही नहीं.
झूठे केस बनाने वाले इन्वेस्टीगेशन अफसर के खिलाफ धारा 166,167 IPC में क्रिमिनल केस और सिविल केस जरूर फाइल करें.
झूठा मुकदमा (498-A) बनाने वाले पुलिस वालों के खिलाफ भी सिविल और क्रिमिनल केस दोनों जरुर फाइल करने चाहिए, इससे झूठा मुकदमा बनाने वाले पुलिस वालों पर नकेल कसी जा सकती है.
पुलिस वालों के भी होंसले इसलिए भी बुलंद रहते हैं कि उनके खिलाफ कोई कार्यवाही तो करता ही नहीं.
झूठे केस बनाने वाले इन्वेस्टीगेशन अफसर के खिलाफ धारा 166,167 IPC में क्रिमिनल केस और सिविल केस जरूर फाइल करें.
2 month old charged under 498a & get bail
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by Successfully fighting with 498 on 08 December 2012
Two-month-old Zoya gets dragged into a dowry harassment case filed by her father’s first wife. Legal experts, child rights activists react in shock at her having to get anticipatory bail to avoid arrest
In a case straight out of Ripley’s Believe It Or Not, the Mumbai Sessions court last Wednesday (June 17, 2009) granted anticipatory bail for what must have been their youngest applicant ever a two-month-old baby: Zoya aka Mehak Shamshuddin Khan. Lucky for her, or Zoya could have ended up behind bars.
Zoya, who has got bail on a surety amount of Rs 10,000, is a member of the Khan family from Kurla who have been accused by Shakila Khan (27) in a dowry harassment case and for a criminal breach of trust. The sessions judge S N Sardesai in his order granted bail for seven of the eight applicants who applied for the anticipatory bail.
Shakila lodged a complaint against Zoya’s father and her divorced spouse Shamsuddin Khan at the Nehru Nagar police station and named the entire family in her letter, including Zoya, her biological mother (Shamsuddin’s second wife), a neighbour and four relatives. Shakila accused them of harassing and demanding dowry of Rs one lakh and torturing her, the police said.
Khan’s lawyers Anil Bhole and Lata Vhotkar said the police initially thought that the matter would be resolved between both parties amicably. “However, when Shakila submitted a complaint letter against Shamsuddin and his family in which his second wife Reshma’s baby was also mentioned, he had to rush for anticipatory bail for all his family members,” said Bhole.
The police registered the case on Wednesday evening against Khan and his family members, acting on Shakila’s complaint letter submitted earlier.
“Shakila and Shamsuddin divorced two years ago and he has since remarried and had Zoya with his second wife,” said Nasim Bano Khan, Shamsuddin’s mother
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by Successfully fighting with 498 on 08 December 2012
Two-month-old Zoya gets dragged into a dowry harassment case filed by her father’s first wife. Legal experts, child rights activists react in shock at her having to get anticipatory bail to avoid arrest
In a case straight out of Ripley’s Believe It Or Not, the Mumbai Sessions court last Wednesday (June 17, 2009) granted anticipatory bail for what must have been their youngest applicant ever a two-month-old baby: Zoya aka Mehak Shamshuddin Khan. Lucky for her, or Zoya could have ended up behind bars.
Zoya, who has got bail on a surety amount of Rs 10,000, is a member of the Khan family from Kurla who have been accused by Shakila Khan (27) in a dowry harassment case and for a criminal breach of trust. The sessions judge S N Sardesai in his order granted bail for seven of the eight applicants who applied for the anticipatory bail.
Shakila lodged a complaint against Zoya’s father and her divorced spouse Shamsuddin Khan at the Nehru Nagar police station and named the entire family in her letter, including Zoya, her biological mother (Shamsuddin’s second wife), a neighbour and four relatives. Shakila accused them of harassing and demanding dowry of Rs one lakh and torturing her, the police said.
Khan’s lawyers Anil Bhole and Lata Vhotkar said the police initially thought that the matter would be resolved between both parties amicably. “However, when Shakila submitted a complaint letter against Shamsuddin and his family in which his second wife Reshma’s baby was also mentioned, he had to rush for anticipatory bail for all his family members,” said Bhole.
The police registered the case on Wednesday evening against Khan and his family members, acting on Shakila’s complaint letter submitted earlier.
“Shakila and Shamsuddin divorced two years ago and he has since remarried and had Zoya with his second wife,” said Nasim Bano Khan, Shamsuddin’s mother
Congo. Arnesh judgment of supreme court has been placed in a list of the 15 judgments (in no particular order) that were rendered in 2014 and which set the law in a different direction:
http://m.livelaw.in/news-detail.php?url=http://www.livelaw.in/reminiscing-2014-15-judgments-apex-court-altered-course/
http://m.livelaw.in/news-detail.php?url=http://www.livelaw.in/reminiscing-2014-15-judgments-apex-court-altered-course/
Multiple Maintenance not allowed.
1) Surpeme court judgment: http://498amisuse.wordpress.com/2011/12/29/multiple-maintenance-not-allowed-sc_1/
2) SUPREME COURT OF INDIA: Dated 9 November, 2010
Double jeopardy applies to same offence, not same facts
http://advocateseema.in/files/Monica_Bedi_vs_State_Of_A.P._on_9_November,_2010.pdf
3) http://archanafoundation.blogspot.in/2012/03/no-double-maintenance-to-wife-125-crpc.html
4) MUMBAI HIGH COURT : Dated 17 July, 1991
Same relief (maintenance)cannot be asked twice in two different courts
5) DELHI HIGH COURT : Dated 30 August, 2010
Multiple Maintenance petitions are not allowed
6) GUJRAT HIGH COURT : Dated on 21 October 2010
No Multiple maintenance
http://advocateseema.in/files/Hemlataben_Maheshbhai_Chauhan_-_vs_State_Of_Gujarat_&_1_-_on_21_October,_2010.pdf
7) http://www.lawyersclubindia.com/forum/Del-hc-multiple-maintenance-not-allowed-wife-filed-pwdva-46459.asp#.VJliusCA
8) http://mynation.net/docs/171-1991/
9) http://menrightsindia.net/2014/10/mumbai-hc-disallows-multiple-maintenance-under-crpc-125-when-civil-suit-pending.html
10) Litigant cannot ride two horses: http://iitbiimb498a.wordpress.com/litigant-cannot-ride-two-horses/
11) Multiple Maintenance Cases, 24 of HMA and 125 Cr.P.C/DV? : http://terminatorak.wordpress.com/2012/07/23/multiple-maintenance-cases-24-of-hma-and-125-cr-p-cdv/
1) Surpeme court judgment: http://498amisuse.wordpress.com/2011/12/29/multiple-maintenance-not-allowed-sc_1/
2) SUPREME COURT OF INDIA: Dated 9 November, 2010
Double jeopardy applies to same offence, not same facts
http://advocateseema.in/files/Monica_Bedi_vs_State_Of_A.P._on_9_November,_2010.pdf
3) http://archanafoundation.blogspot.in/2012/03/no-double-maintenance-to-wife-125-crpc.html
4) MUMBAI HIGH COURT : Dated 17 July, 1991
Same relief (maintenance)cannot be asked twice in two different courts
5) DELHI HIGH COURT : Dated 30 August, 2010
Multiple Maintenance petitions are not allowed
6) GUJRAT HIGH COURT : Dated on 21 October 2010
No Multiple maintenance
http://advocateseema.in/files/Hemlataben_Maheshbhai_Chauhan_-_vs_State_Of_Gujarat_&_1_-_on_21_October,_2010.pdf
7) http://www.lawyersclubindia.com/forum/Del-hc-multiple-maintenance-not-allowed-wife-filed-pwdva-46459.asp#.VJliusCA
8) http://mynation.net/docs/171-1991/
9) http://menrightsindia.net/2014/10/mumbai-hc-disallows-multiple-maintenance-under-crpc-125-when-civil-suit-pending.html
10) Litigant cannot ride two horses: http://iitbiimb498a.wordpress.com/litigant-cannot-ride-two-horses/
11) Multiple Maintenance Cases, 24 of HMA and 125 Cr.P.C/DV? : http://terminatorak.wordpress.com/2012/07/23/multiple-maintenance-cases-24-of-hma-and-125-cr-p-cdv/
Woman Told To Pay Rs 5 Lakh To In-Laws: False 498A Charges
Here is the link to the story:
http://www.tribuneindia.com/2007/20070426/haryana.htm#5
Woman told to pay Rs 5 lakh to in-laws
Nishikant Dwivedi
Tribune News Service
Yamunanagar, April 25
In a significant judgment, a local court has imposed a fine of Rs 5 lakh on a woman, who had made a frivolous complaint against her in-laws for dowry.
The Judicial Magistrate said many instances had come to light where the complainants were not bonafide and had been filed with an oblique motive. The magistrate termed the case as a classic example for such an instance.
Kanwalpreet Kaur of Model Town here had filed a complaint against brothers-in-law Davinder Pal Singh, Amarjeet Singh, Satwinder Singh and Gurbinder Singh, mother-in-law Gurbachan Kaur, sisters-in-law Balwinder Kaur and Jaswinder Kaur and niece Ritu under Sections 498-A in 1997. The court had quashed the names of Balwinder, Jaswinder and Ritu from the case in 2002.
Kanwalpreet was married to Navjeet Singh in 1992. In her complaint, she had alleged that her in-laws were harassing her for more dowry. She had claimed that her brothers had given Rs 1.5 lakh to her in-laws in three installments. She had further alleged that she was thrown out of the house.
In the order it had been said the remaining five accused were made to suffer on account of baseless and malicious allegation. To prevent such abuse of beneficial provision of Section 498-A of the IPC by women in future, the magistrate dismissed the complaint and acquitted the accused of the charges.
The court directed Kanwalpreet to pay Rs 1 lakh to each of the five persons.
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Here is the link to the story:
http://www.tribuneindia.com/2007/20070426/haryana.htm#5
Woman told to pay Rs 5 lakh to in-laws
Nishikant Dwivedi
Tribune News Service
Yamunanagar, April 25
In a significant judgment, a local court has imposed a fine of Rs 5 lakh on a woman, who had made a frivolous complaint against her in-laws for dowry.
The Judicial Magistrate said many instances had come to light where the complainants were not bonafide and had been filed with an oblique motive. The magistrate termed the case as a classic example for such an instance.
Kanwalpreet Kaur of Model Town here had filed a complaint against brothers-in-law Davinder Pal Singh, Amarjeet Singh, Satwinder Singh and Gurbinder Singh, mother-in-law Gurbachan Kaur, sisters-in-law Balwinder Kaur and Jaswinder Kaur and niece Ritu under Sections 498-A in 1997. The court had quashed the names of Balwinder, Jaswinder and Ritu from the case in 2002.
Kanwalpreet was married to Navjeet Singh in 1992. In her complaint, she had alleged that her in-laws were harassing her for more dowry. She had claimed that her brothers had given Rs 1.5 lakh to her in-laws in three installments. She had further alleged that she was thrown out of the house.
In the order it had been said the remaining five accused were made to suffer on account of baseless and malicious allegation. To prevent such abuse of beneficial provision of Section 498-A of the IPC by women in future, the magistrate dismissed the complaint and acquitted the accused of the charges.
The court directed Kanwalpreet to pay Rs 1 lakh to each of the five persons.
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