== प्रेस नोट : 29 जनवरी 2015 ==
498A का दुरूपयोग करनेवाली महिलायें सावधान !
मुंबई अदालत के आदेशानुसार पति आप पर मानहानि का मुकदमा कर सकता है !!
क्या आपकी पत्नी ने आप पर IPC 498A का झूठा मामला डाल रखा है ?
क्या आप और आपके बुजुर्ग माता-पिता व आपके परिवार के सदस्य कई वर्षों से ऐसे मुकदमों से पीड़ित हैं ??
अब डरने की ज़रूरत नहीं "Human Rights Security Council" के राष्ट्रीय अध्यक्ष अँड श्री. नीलेश ओझा जी ने ऐसी महिलाओं को कानूनी सबक सिखाने के लिये कानूनी रास्ता निकालकर मुंबई की एक अदालत से पत्नी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल करके पीड़ित पति के पक्ष में ऑर्डर हासिल कर लिया है|
ऐसा ही एक मामला अँड श्री. नीलेश ओझा जी के सामने आया| जिसमें छत्तीसगढ की एक महिला ने अपने अहम के लिए और अपने पति को बदनाम व परेशान करने की नीयत से अपने पति श्री. रमेश(बदला हुआ नाम) जो भाभा आणविक रिसर्च सेन्टर(मुंबई) के वैज्ञानिक हैं, के खिलाफ IPC 498A के तहत झूठा मामला दर्ज किया और F.I.R. की कॉपी उसके मुंबई ऑफिस में भेज दी| जिसकी वजह से श्री. रमेश मानसिक रूप से काफी तनावग्रस्त रहने लगे व सोचने लगे कि कानून केवल महिला के पक्ष में क्यों है, पुरूष के पक्ष में क्यों नहीं?
तभी अचानक श्रीमती मोहिनी कामवानी के फेसबुक से उन्हें पता चला कि “Human Rights Security Council” नामक संस्था एक सेमिनार आयोजित कर रही है, जिसमें श्री. रमेश जी वहाँ पहुँचे तो उन्होंने सेमिनार के मुख्य अतिथी अँड श्री. नीलेश ओझा जी को कहते हुये सुना कि "कानून का दुरूपयोग करके निर्दोषों को फँसानेवालों के खिलाफ कैसे सही कानूनी कार्यवाही की जा सकती है" श्री. रमेश ने उनसे खुद के मामले में मदद करने की विनती की| जिसकी वजह से श्री. नीलेश ओझा जी ने श्री. रमेश की पैरवी करते हुये मुंबई की अदालत में पत्नी के खिलाफ फौजदारी धाराओं में मामला दाखिल किया जिस पर अदालत ने विरोध प्रकट करते हुये पूछा कि "आप कैसे कह सकते हो, कि पत्नी द्वारा मध्यप्रदेश में डाले हुए आरोप झू्ठे है, जबकि पत्नी का झूठ अभी साबित नहीं हुआ हैं" इस पर अँड श्री. नीलेश ओझा ने मुंबई मैट्रोपॉलिटन कोर्ट में बॉम्बे हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के मामलों का हवाला देते हुये यह साबित कर दिया कि पत्नी के छत्तीसगढ का मामला प्रलंबित होते हुये भी पति के शहर मुंबई में पत्नी के खिलाफ मानहानि
Every week, a group of men's rights activists called Vastav Foundation meets to give emotional support to male victims of dowry harassment cases. Swapnil Talekar, a resident of Mahalaxmi, along with his father, Arun Talekar, a handicapped retired person, was released on bail from Arthur Road jail on June 19 after his wife registered false complaint at Agripada police station, after just 2 months of marriage.
"We were lodged in the jail for 8 days and my father suffered the most. Though the order from SC came after my release, I feel that the order will bring relief to men who have been harassed in false cases, though the major part is that its implementation should be done properly," said Swapnil Talekar.
Kandivali resident Nimesh Gandhi, 31, was arrested under IPC sections 498A (dowry harassment), 323 (causing grievous hurt) and his ailing mother spent 2 days in jail, but was acquitted later.
"We got the acquittal as the matter was settled and if my wife proceeded, she would have lost the case as the matter was based on serious allegations," said Nimesh Gandhi.
Similarly, Kumar Taranand Zha, 35, a marketing manager with a crockery firm, was arrested with his family at Mira Road, after his wife pressed charges against him of dowry and harassment, but was acquitted by the Thane court, calling the case false and baseless.
"The court acquitted me of all charges relating to dowry harassment and called the allegations baseless and false," said Zha.
"The statistics clearly say that the arrests due to mere allegations, is harassment. Most of the cases are lodged in city police stations as it is used as a tool to harass family members of the husband, while the law, which was made to protect the interest of women, was ironically used to send a woman to jail in the form of the accused's sister and mother," said Amit Deshpande, a men's rights activist.